कोटद्वार के बाद हरिद्वार में प्रकाश में आये एक और लव जिहाद के वारदात ने फिर से देवभूमि उत्तराखंड के बेटियों की सुरक्षा पे सवाल खड़े कर दिए हैं। देवभूमि उत्तराखंड में एक के बाद एक लव जिहाद के प्रकरणों ने हमें मजबूर कर दिया है कि हम इन घटनाओं की तह तक जाएँ। भारत जैसे देश में जहाँ राधा – कृष्ण के प्यार को पूजनीय माना जाता है वहां प्यार भोली भाली लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने या उन्हें वैश्यावृत्ति के धंधे में धकेलने के लिए किया जा रहा है। बचपन से ही मैं पहाड़ों में ऐसी खबरें सुनते आ रहा हूँ कि फलां लड़की किसी के साथ भाग गयी है, उसके बाद लड़की कहाँ गयी और किस हालात में यह कभी पता नहीं चल पाता था। मुझे भी तब तक पता नहीं था कि लड़कियों के गायब होने के पीछे एक सोची समझी साजिश हो सकती है जब तक की खुद मेरे ही जान पहचान की लड़की इस साजिश का शिकार बनी।
बात 2006 की है तब मैं नैनीताल जिले के एक छोटे से कसबे में रहा करता था। यहाँ पर मैं कसबे और पीड़ित युवती का नाम छिपाना चाहूंगा। उस कस्बे में काफी तादात पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आके बसे हुए मुस्लिमों की थी, जोकि की फर्नीचर, हजाम, वेल्डिंग, कपडे आदि का व्यवसाय करते थे। कासिम उर्फ़ राजू ने मेरे पिता जी के कार्यालय में काम करने वाले व्यक्ति के नाबालिक बेटी को अपने प्यार के जाल में फसाया। कासिम खुद को राजू बताता था और उसने लड़की को दिल्ली ले जाके अपनी नयी दुनिया बसाने के सपने दिखने शुरू किये। धीरे धीरे लड़की उसके झूठे प्यार के गिरफ्त में आ गयी और प्यार में अंधी होकर सारी मर्यादाएं लाँघ गयी। कासिम ने उसका MMS भी बना लिया था और वो उसे डरा धमका कर काफी दिनों तक शारीरिक शोषण करता रहा। अब बात तब प्रकाश में आयी जब कासिम लड़की को मंदिर में लेकर गया था। वहां पास ही एक शिव मंदिर था जोकि पहाड़ में बने गुफा के बीच था। दोपहर में १२ बजे के बाद मंदिर परिसर कुछ समय के लिए बंद हो जाता था और वहां पे कोई नहीं आता था । यह बात कासिम को पता थी इसलिए वो लड़की को लेकर गुफा मंदिर गया। वहां उसे लड़की के साथ जबरजस्ती करते हुए पुजारी ने देख लिया और लोगो को इसके बारे में सूचना दी। इसकी सूचना मिलते ही पास के ही बाजार से लोग आ गए और कासिम को रंगे हाथों पकड़ लिया। गुस्साए लोगों ने उसे पीटने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया और पुलिस पूछताछ में पता चला की वो मूलतः मुरादाबाद का रहने वाला है और पहले से ही शादीशुदा है और साथ ही 4 बच्चे भी है। ऐसे ही हजारों घटनाएँ पुरे उत्तराखंड में घटित होती रहती हैं लेकिन संग्यान में नहीं आपाती। ज़्यादातर ममालों में तो बदनामी की डर से माता पिता FIR तक नहीं दर्ज कराते।
वास्तव में अब वो समय गया है की जब हमें पोलिटिकल करेक्टनेस को छोड़कर यह सोचना ही होगा कि कब तक हम एकतरफ़ा धर्मनिरपेक्षता के लिए अपनी बेटियों की बलि चढ़ाते आएंगे। सच तो यह है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े बड़े मुस्लिम संगठनों द्वाया हिन्दू-सिख-बुद्धिस्ट लड़कियों के धर्म परिवर्तन के लिए इन मुस्लिम युवकों को प्रोत्साहित किया जाता है। यहाँ तक की बाकायदा रेट लिस्ट भी तैयार की गयी है कि ब्राह्मण लड़की के धर्मपरिवर्तन के लिए 7 लाख और क्षत्रिय लड़की के 6 लाख, सिख लड़की के 7 लाख तो जैन के 6 लाख। मदरसों में बचपन से ही मुस्लिम लड़कों को यहीं सिखाया जाता है कि क़यामत के दिन तक पूरी दुनिया मुस्लमान होनी चाहिए यहीं अल्लाह चाहते हैं। अगर एक मुसलमान किसी काफिर को इस्लाम क़ुबूल करवाता है तो उसे हज का सवाब मिलता है और अल्लाह उसे जन्नत में जगह देता है। आँखों पे इस्लाम की पट्टी बाँधे मुस्लिम युवक जन्नत जाने और वहां 72 हुर्रों को पाने के लालच में मासूम लड़कियों की जिंदगियां तबाह करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते। दरसल इस्लामिक विचारधारा के अनुसार मूर्ति पूजा करने वाले(हिन्दू-बुद्ध) सभी पापी हैं, क्योंकि वो अल्लाह और उसके पैगम्बर की इबादत ना करके मूर्तियों की पूजा करते हैं। अल्लाह में यकीं करने की बजाय कई देवी देवताओं की पूजा करते हैं जोकि इस्लाम के खिलाफ है। इसलिए काफिरों को किसी भी तरह इस्लाम के शांतिप्रिय रास्ते पे लाना ही सच्चे मुसलमान का फर्ज है। प्रेम जाल में फ़साने के बाद मुस्लिम युवक पहले तो हिन्दू युवतियों को इस्लाम क़ुबूल करवाने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन अगर युवती नहीं मानती है तो उसके साथ मारपीट करने में जरा भी संकोच नहीं करते। हिन्दू लड़की को इस्लाम क़ुबूल करवाने के लिए प्रताड़ित करने में लड़के के घर वाले भी उसका साथ देते हैं।
इस्लामिक विचारधारा के अनुसार जिहाद के वक्त पकड़ी गयी गैर मुस्लिम लड़की के साथ 3 तरह का सुलूक किया जाना चाहिए। पहला ये कि गैर मुस्लिम लड़की का क़त्ल कर दिया जाये, दूसरा उसे वैश्यावृत्ति के लिए बेच दिया जाए और तीसरा मुस्लिम युवक उसे अपने साथ सेक्स गुलाम की तरह रख सकता है। इस्लाम में जिहाद को खास तवज्जो दी गयी है, इस्लाम के अनुसार सच्चे मुसलमान को हमेशा काफिरों के साथ जिहाद करते रहना चाहिए जब तक की वो इस्लाम क़ुबूल ना कर लें। यह विचारधारा भी मुस्लिम युवकों को उनकी नापाक हरकतों में मददगार साबित होती है। साथ ही साथ इस्लामिक विचारधारा के अनुसार अगर महिला अकेले घर से बहार निकलती है तथा पूरी तरह बुर्के से अपने आप को नहीं ढकती है तो इसका मतलब ये हुआ कि वो खुद ही अपने बलात्कार के लिये आमंत्रित कर रही है। यहीं वजह है जिसके कारण आदर्श इस्लामिक राष्ट्र सऊदी अरब और ईरान में बलात्कार पीड़िता को ही सजा दी जाती है रेप करवाने के लिए। यह माना जाता है कि महिला ने अपनी उपस्थिति से पुरुष को अपनी ओर आकर्षित किया। उत्तराखंड की संस्कृति इस्लामिक विचारधारा से एकदम उलट है, यहाँ पे महिलाएं पुरषों की गुलाम नहीं बल्कि उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलती हैं, महिलाएं पूरी तरह स्वतंत्र हैं अपने मर्जी से जीने के लिये। यहाँ तक की अगर कार्य क्षेत्र की भी बात की जाये तो महिलाएं खेतों में काम करने से लेकर जंगलों से घास और लड़की लाने जैसे सारे काम करती हैं बिना किसी भय के, क्योंकि उत्तराखण्ड उन राज्यों में से है जो कभी भी किसी इस्लामिक साम्राज्य का हिस्सा नहीं रहे और यहाँ के संस्कृति पे इस्लामिक विचारधारा का प्रभाव ना के बराबर है। यहीं वो बात है जो की मुस्लिम लव जिहादियों को उनके मनसूबे में मदद करती है।
पिछले वर्ष अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक के लापता हुयी 11 लड़कियों का कोई सुराग नहीं मिला है। एक गैरसरकारी संस्था के अनुसार पुरे गढ़वाल मंडल से 330 लड़कियां गायब हैं 2014 से जिनकी कोई खबर नहीं हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूँ की सभी गायब हुयी युवतियां लव जिहाद का शिकार हुयी होंगी लेकिन इसकी सम्भावना से नाकारा भी नहीं जा सकता।
अमूमन ये होता है की अगर लड़की इस्लाम क़ुबूल करके दूसरी या तीसरी बीवी बनके रहने को तैयार हो जाती है तो ठीक है वार्ना उसे देह व्यापार के दल दल में धकेल दिया जाता है, जहाँ से निकल कर वापस आना किसी भी लड़की के आसान नहीं होता। कई बार तो यह भी होता है लड़कियों को दुबई या सऊदी अरब धोखे से ले जाया जाता है और उसे सेक्स गुलामी के लिए शेखों को बेच दिया जाता है।
विभीषण ने अगर मदद ना की होती तो प्रभु श्री राम के लिए भी लंका पे विजय पाना आसान नहीं था, इसी तरह देवभूमि में देवभूमि की बेटियों की इज्जत साथ खिलवाड़ करने वाले तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक कि मूल निवासी( कुमाउनी-गढ़वाली) उनकी मदद ना करें। इसका उदाहरण भी मैंने अपनी जिंदगी में देख चुका हूँ। 2008 की बात है जब मैंने देहरादून के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था। उस वक्त मेरे परिचित फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स मुजफ्फरनगर के मुस्लिम लड़के के साथ चमोली से पढने आयी हुयी लड़की को भगा कर शादी करने में मदद करने की बात कर रहे थे। यह बात जब मुझे पता चली तब मैंने उन्हें समझाने की काफी कोशिश कि घर से भाग कर शादी करना गलत है, दोनों को अपने माता पिता से बात करके अंतिम फैसला लेना चाहिए। लेकिन बॉलिवुड फिल्मों से प्रेरित मेरे सीनियर मित्र मेरी कहाँ सुनाने वाले थे। उल्टा मुझे प्यार का दुश्मन करार दिया गया और हिंदी फिल्मों की तरह दोस्ती निभाने की सलाह दी गयी। उस घटना के बाद मेरा उन लोगों से मिलना जुलना थोड़ा काम हो गया था। लेकिन 2014 में मैं उनमे से एक सीनियर से नॉएडा में टकरा गया। काफी दिनों बाद मिले तो पता तो एक कॉफी शॉप के गप शप करने लगे। बातों ही बातों में मैंने उनसे पूछा कि अरे आपका वो दोस्त कहा हैं जिसकी आपने शादी करवाई थी। उसके बाद मैंने जो सुना वो काफी दुखद था। लड़की को भगा के तो वो मुजफ्फरनगर ले आया था पर उसके बाद वो कहाँ गयी यह किसी को पता नहीं। अब पूछे जाने पर वो मुस्लिम युवक सीधे उस लड़की से किसी भी तरह के संबंध को सिरे से नकार देता है।
कोटद्वार लव जिहाद में मामलों में सबसे जादा प्रभावित शहर है। आये दिन किसी न किसी युवती के मुस्लिम युवकों द्वारा शारीरिक शोषण की खबरें अति रहती हैं। कोटद्वार में बाहर से आकर बसे मुस्लिम परिवारों में ज़्यादातर परिवार कबाड़, नाई, धोबी, मोबाइल रिपेरिंग जैसे पेशों में हैं। इन परिवारों के युवक उच्च शिक्षा की बात तो दूर की हैं महज बारहवीं पास भी नहीं होते। बचपन से मदरसों में इस्लामिक शिक्षा ली हुयी होती है और बाकी कई साल फेल होते-होते किसी तरह दसवीं या बारहवीं तक पहुच जाते हैं। पढाई से कोई वास्ता न होने के कारन इनका सारा ध्यान केवल हिन्दू युवतियों को फ़साने और उनका शारीरिक शोषण करने पर केंद्रित होता है। इसमें गलती खुद हिन्दू समुदाय की युवकों की होती है, हिन्दू युवतियों का मोबाइल नंबर से लेकर उन्हें मिलवाने तक का काम खुद हिन्दू युवक करते हैं।
इसी तरह पुरे राज्य में न जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी तबाह की जा रही है। कुछ संवेदनशील लोग जब आवाज उठाने की कोशिश भी करते हैं तो उन्हें धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ा कर शांत करने की कोशिश की जाती है। हालाँकि इसके लिए हमारी सरकारें पूरी तरह जिम्मेदार हैं जो वोट बैंक की लालच में लोगों से सच छिपाते आयी हैं और कहीं ना कहीं आम जनता भी इतनी स्वार्थी हो चुकी है कि उन्हें तब तक होश नहीं आता जब तक कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य के साथ कोई बुरी घटना घटित न हों। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और हमारा दायित्व है की हम जानवरों की तरह बस अपने स्वार्थ में ना लग कर दूसरों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ भी खड़े हों। हमारा यह कर्त्तव्य है कि अगर कहीं भी हमें शक हो कि किसी भी युवती के साथ लव जिहाद की साजिश हो रही हो तो उसके खिलाफ आवाज उठायें क्योंकि पुलिस और राज्य सरकार सच पे हमेशा पर्दा डालने की कोशिश करती है और आगे भी करेगी, इसलिए हमें ही अपनी बेटियों की हिफाजत के लिए खुद तो जागरूक होना ही पड़ेगा साथ ही साथ युवतियों को भी लव जिहाद के घिनौने परिणामों के बारे में बताना पड़ेगा।